Friday, November 4, 2016

Solo Biking: यहां खेत में निकले थे 5 हजार साल पुराने 15 कंकाल, भारत में दूसरी सबसे बड़ी हड़प्पा सभ्यता की है साइट

                      केदारनाथ ज्योर्तिलिंग की बाइक से 3850 किलोमीटर की अकेले रोमांचक यात्रा


                                         PART-14  पानीपत से भिवानी तक का सफर


4 नवंबर, भोपाल। भोपाल से 30 मई को यात्रा पर निकलने के बाद 30 की रात को ही 231 किमी की दूरी तय कर चंदेरी पहुंचा। उसके बाद दूसरे दिन 31 मई को 371 किमी की दूरी तय कर आगरा पहुंचा। 1 जून को आगरा से हस्तिनापुर 319 किमी की दूरी तय कर पहुंचा। 2 जून को 305 किमी की यात्रा कर हस्तिनापुर से रुद्रप्रयाग पहुंचा। 

3 जून को रुद्रप्रयाग से चला और 77 किमी दूर गौरीकुंड पहुंचा। यहां से केदारनाथ मंदिर की 16 किमी की चढ़ाई शुरू की। 3 जून की शाम केदारनाथ धाम पहुंच गया। 4 जून को वापस केदारनाथ से चला। 16 किमी की पैदल यात्रा के बाद 198 किमी बाइक चलाकर उत्तराखंड के शिवपुरी में आया। यहीं नदी के बीचों-बीच कैंप में ठहरा। 5 जून को शिवपुरी में रिवर राफ्टिंग करने के बाद नीलकंठ महादेव, ऋषिकेश, हरिद्वार होते हुए 198 किमी बाइक चलाकर देहरादून पहुंचा। 6 जून का देहरादून से चला। दोपहर में पावंटा साहिब पहुंचा। फिर वहां से चंडीगढ़ होते हुए कुरुक्षेत्र तक का सफर किया। इस दिन कुल 364 किमी बाइक चलाई। 7 जून को कुरुक्षेत्र देखते हुए पानीपत पहुंचा। यहां पानीपत के युद्धस्थलों को देखने के बाद आगे बढ़ा। अब आगे..


राखीगढ़ी: हड़प्पा सभ्यता साइट, हरियाणा में बाइक से पहुंचा।
पानीपत से दोपहर सवा दो बजे निकला। मनोज कौशिक ने राखीगढ़ी जाने का जो रास्ता बताया था, उसमें में कन्फ्यूज हो गया। एक मोड़ से मुड़ने की जगह दूसरे पर आगे चला गया। करीब 10 किमी आगे जाने के बाद मुझे अहसास होने लगा कि कुछ गड़बड़ हो रही है लेकिन रास्ते में न तो कोई बोर्ड मिला और न कोई ऐसी जगह जिनसे रास्ता पूछ सकूं। टोल टैक्स पर पहुंचकर एक ट्रक वाले से जींद का रास्ता पूछा। जींद के लिए ये रास्ता भी जाता था लेकिन थोड़ा लंबा था। मैं वापस 10 किमी पानीपत के लिए लौटा और फिर सही रास्ता पकड़ा। 

इस तरह की 12 दिन में 3580 की सोलो बाइकिंग।





करीब पौने 4 बजे सफीदों शहर पहुंचा। यहां से जींद 36 किमी रह जाता है। साढ़े 4 बजे जींद पहुंचा। इस रास्ते को देखकर ऐसा लगता है कि ये प्राचीन रास्ता है। सड़क के दोनों ओर एक निश्चित दूरी पर पेड़ लगे हैं जो पूरे रास्ते नजर आए। 




शाम 4 बजकर 55 मिनट पर मैं जींद के फेमस रानी तालाब पर पहुंचा जो एक तालाब के बीचों बीच बना है। 




रानी तालाब, जींद।

रानी तालाब मंदिर, जब इसके चारों तरफ पानी रहता है।

महाभारत की कई कथाएं जीन्द से जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा वामन पुराणनारद पुराण और पद्म पुराण में भी जीन्द का उल्लेख मिलता है। यह कहा जाता है कि महाभारत काल में पाण्डवों ने यहां पर विजय की देवी जयंती देवी के मन्दिर का निर्माण किया था। युद्ध में कौरवों को हराने के लिए उन्होंने इसी मन्दिर में पूजा की थी। देवी के नाम पर ही इसका नाम जयंतापुरी रखा गया था। समय के साथ इसका नाम जयंतापुरी से बदलकर जीन्द हो गया। यहां से अब मुझे राखीगढ़ी के लिए जाना था जो हड़प्पा सभ्यता का एक प्रसिद्ध स्थल है। 

जींद से जब में राखीगढ़ी के लिए चला तो मुझे रास्ते में एक निश्चित दूरी पर ही गांव नजर आए। भरी गर्मी में भी गांव के तालाब पानी से लबालब भरे थे। वहीं एक गांव में मैंने जब राखीगढ़ी का रास्ता पूछा तो उस हरियाणवी जाट ने बड़े ही रोचक तरीके से पता बताया। 

उसने कहा कि यहां से 4 गांव आगे जाकर दाएं मुड़ जाना। ये पता बताने की बिल्कुल नई स्टाइल थी। मुंबई में यदि किसी से पता पूछो तो वह ओवर ब्रिज के आधार पर पता बताता है और यहां गांव के आधार पर। सही है अपना-अपना तरीका है। खैर में आगे बढ़ा तो ठीक चौथे गांव के पास सड़क पर राखीगढ़ी रास्ता जाने का बोर्ड नजर आ गया। 

हरियाणा में हर गांव में 2 से तीन तालाब नजर आए जो भरी गर्मी में भी पानी से लबालब भरे थे।




शाम 5 बजकर 25 मिनिट पर मैं राखीगढ़ी गांव में था। अब मैंने यहां राखीगढ़ी सभ्यता के स्थल के बारे में एक लड़के से पूछा जो तालाब पर भैंस को नहला रहा था। उसने मुझे रास्ता तो बता दिया लेकिन भैंस छोड़कर मेरे साथ चलने से मना कर दिया। 



खैर फिर मैं गांव में घुसा तो अंदाज से आगे बढ़ता रहा। थोड़ी दूरी पर फिर एक तालाब मिला और 10-15 गांव के छोरे वहां भैंस को नहला रहे थे। उन्हें मैने अपने बारे में बताया और साइट पर जाने के लिए मदद मांगी। उन्होंने भी जवाब दिया कि भाई भैंस छोड़कर हम कहीं नहीं जाएंगे। मैंने कहा कि भैंस तो पानी में है और ये सारे लोग भी हैं। कोई भी एक मेरे साथ चलकर जगह के बारे में बता दो। इस पर हरियाणवी छोरा बोला कि भैंस यदि भाग गई तो, पूरे 10 लाख की है। घरवाणे घर में घुसणे नहीं देंगे...

राखीगढ़ी का हरियाणवी छोरा, जो भैंसो की देखभाल कर रहा है।
खैर उनमें से एक सुनील ढांढा मेरे साथ चलने को तैयार हो गया, क्योंकि वह भैंस लेकर नहीं आया था। उसने मुझे वह जानकारी और फोटो उपलब्ध कराए जो शायद अकेले मेरे लिए संभव नहीं होते। 





वह मुझे साइट पर ले गया लेकिन मेरा सारा उत्साह खत्म हो गया। साइट को कुछ दिन पहले ही बंद कर दिया गया था और उसे पॉलीथीन से ढक दिया गया था। सुनील ने उस समय के फोटो दिखाए जब ये साइट खुली थी। उसमें से 5 हजार साल पहले का सामान निकला था। ये साइट भारत में धौलावीरा के बाद सबसे बड़ी साइट है। धौलावीरा को मैं पहले ही देख चुका था। 

साइट को इस तरह पन्नी से ढका गया।




राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार ज़िले में सरस्वती तथा दृषद्वती नदियों के शुष्क क्षेत्र में स्थित एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है।
  • राखीगढ़ी सिन्धु घाटी सभ्यता का भारतीय क्षेत्रों में धोलावीरा के बाद दूसरा विशालतम ऐतिहासिक नगर है।
  • राखीगढ़ी का उत्खनन व्यापक पैमाने पर 1997-1999 ई. के दौरान अमरेन्द्र नाथ द्वारा किया गया।
  • राखीगढ़ी से प्राक्-हड़प्पा एवं परिपक्व हड़प्पा युग इन दोनों कालों के प्रमाण मिले हैं।
  • राखीगढ़ी से महत्त्वपूर्ण स्मारक एवं पुरावशेष प्राप्त हुए हैं, जिनमें दुर्ग-प्राचीर, अन्नागार, स्तम्भयुक्त वीथिका या मण्डप, जिसके पार्श्व में कोठरियाँ भी बनी हुई हैं, ऊँचे चबूतरे पर बनाई गई अग्नि वेदिकाएँ आदि मुख्य हैं।

राखीगढ़ी साइट से निकला सामान।






राखीगढ़ी साइट से निकला सामान।

टीले पर घूमने के बाद फिर मुझे वह वहां ले गया जहां कुछ दिनों पहले खेत में से कंकाल निकला था। अब वहां खेती हो रही है। 

इस खेत और वहां बने टपरे के बारे में सुनील ने बताया कि इस खेत में कुछ साल पहले इस खेत को मालिक को सोने का घड़ा मिला था। इसके बाद वह गांव में सबसे ज्यादा रईस हो गया। गांववालों को इस सोने के बारे में तब पता चला जब उसका सारा सोना खत्म हो गया। इसके बाद ही यहां खेत में खुदाई हुई जिसमें से कंकाल निकला था। यहां से 15 कंकाल निकले थे जो 5 हजार साल पुराने बताए जाते हैं। 


सुनील इस खेत और इसमें दबे कंकाल के बारे में बताता हुआ।

राखीगढ़ी में निकले हैं 15 कंकाल जो 5 हजार साल से ज्यादा पुराने बताए जाते हैं।

ये कंकाल स्त्री पुरुष युगल का है जो नींद में ही मौत की गोद में समा गया था।

1 घंटे तक मैं यहां के 5 हजार साल पुराने इतिहास से परिचित होता रहा। इसके बाद सुनील अपने घर ले गया और वहां चाय पी। उसने मुझे गांव में ही रुकने के लिए कहा लेकिन मुझे आगे चलना था। यहां हुक्के के बारे में उसके भाई ने बेहतरीन जानकारी दी। 

हुक्के के बारे में दी जानकारी।



सुनील से जब मैंने मुरथल गैंग रेप के बारे में बात की और पूछा कि ये सब क्या है? उसने जवाब दिया कि यहां खाप की चलती है। यदि हमें आदेश होता है तो हमें इसमें शामिल होना ही पड़ता है। इस बार के आंदोलन में बहुत रेप कांड हुए हैं, मूरथल तो सिर्फ बानगी है। 

सुनील का घर और व्यवस्थित तरीके सा बसा गांव।

सवा 7 बजे राखीगढ़ी से निकला। 8 बजे हांसी पहुंचा और सवा 9 बजे भिवानी। यहीं एक लॉज में रुकने की व्यवस्था हुई। इस तरह 7 जून को पानीपत से भिवानी तक 284 किमी की यात्रा हुई। 


हांसी, हरियाणा।

हांसी, हरियाणा।

भिवानी, हरियाणा।

भिवानी के इस होटल में ठहरा।


आगे की यात्रा अगले लेख में....


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-PART-13  कुरुक्षेत्र से पानीपत तक का सफर:यहां चाय वाला रखता है 45 हजार का मोबाइल, पानीपत की युद्ध भूमि का बना साक्षी



-PART-11 देहरादून से कालसी होते हुए पावंटा साहिब तक का सफर: सम्राट अशोक के कालसी शिलालेख में है राजा और प्रजा का रिलेशन, गुरु गोविंद सिंह से जुड़ा हैं पावंटा साहिब

-PART-10 शिवपुरी (उत्तराखंड) से देहरादून का सफर: जंगल कैंप और रिवर राफ्टिंग का रोमांचक अहसास, भगवान शिव ने पिया था यहीं विष का प्याला








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